दिल मेरा अभिमन्यु सा

हमारा दिल बड़ा ही विचित्र है, सब कुछ जानता है। फिर भी हर बार पीड़ा सहता है।

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 28 Oct, 2020 | 0 mins read
It's about our innocent heart.

दिल मेरा अभिमन्यु सा, रिश्तों का चक्रव्यूह भेदना तो जाने, उसके उपरांत की वेदना नहीं।।

वीर, साहसी, कोमल बालक, रिश्तों के युद्ध में कूदना तो जाने, परंतु उसे छेदना नहीं।।

बड़ा निर्मोही, मेरा मन माधो, सब कुछ पाना तो चाहे, पर मेरे रुदन की उसे चेतना नहीं।।

भावनाओं में लिप्त, मन से मोती खोजना तो जाने, लेकिन खुद को सहेजना नहीं।।

हठी सा, कर्मठ सा, अपनी बातों पर डटना भी जाने, और पीछे हटना नहीं।।

ये अबोध काहे ये ना जाने, इस भेदन में पीड़ा ही है, दूसरे पक्ष की संवेदना नहीं।।

दिल मेरा मृत अभिमन्यु सा, वीरगति तो जाने, पर बैठ निष्क्रीय हो बाट जोहना नहीं।।





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Shubhangani Sharma

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