अमानत

ये ज़िन्दगी तेरी नहीं अपनों की अमानत है...

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 27 Jan, 2021 | 1 min read
#1000poems #poem4 #fight for your loved one
हैं तेरी ख्वाइशें...
मंज़िल से जुड़ी,
क्यों सफर नदारद है।।

हर कदम तेरा, 
परख करके तो देख,
खुशियों की आमद है।।

जो भोर होती है,
तेरी खिड़की भी...
रोशन होती होगी।
सजदा कर ज़रा उसका भी,
ये दिन खुदा की नेमत है।। 

हंसते हुए चेहरों के बीच,
यूँ चलता रहा सफर तेरा...
जो थम जाए उदासी में 
तेरे लड़ने पे लानत है।।

है कुछ नया नहीं,
टूटते हैं सब यहाँ।
मान ली जो हार भी...
वहीं पर तेरी शामत है।।

चल थोड़ा और ज़ोर लगा ज़रा,
हौसलों पर हो उठ खड़ा
तेरी ज़िन्दगी तेरी नहीं,
अपनों की अमानत है।।









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Shubhangani Sharma

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