लड़खड़ाते हुए चलना, गिरकर फिर संभालना, सीख रहा हूँ मैं।। डर को दरकिनार कर, मुश्किलों से लड़ना, सीख रहा हूँ मैं।। उम्मीदों के छलावे के अफसोस में, अब नहीं रोता मैं, हर नाउम्मीदी से आगे निकलना... सीख रहा हूँ मैं।। लोगों का मतलब से वास्ता होता है, अक्सर रास्ता बनता हूँ मैं, पर खुद को रास्ता दिखाना... सीख रहा हूँ मैं।। हर कदम पर मुखोटे नज़र आते हैं, एक चेहरे पर कई चेहरे, नज़र आते हैं, ऐसे चेहरों को परखना... सीख रहा हूँ मैं।। दुनिया की भीड़ में, हर कोई आप सा नहीं होता, लोगों के लिये खुद को ना बदलना.. सीख रहा हूँ मैं।। बहुत जिया करे हम सबके लिए, वक़्त को बेवक़्त किया खुद के लिए, अब अपने लिए जीना... सीख रहा हूँ मैं।। अश्कों को समेटते हुए, मुस्कुराहट में लपेटना... सीख रहा हूँ मैं।। माना कि बड़ी देर लगा दी हमनें, रब की दुनिया को समझने में, पर देर आये दुरुस्त आये, अपने हौसलों पर चलना... सीख रहा हूँ मैं।।
सीख रहा हूँ
हम सीखते हैं उम्र भर तो बस, सीख रहा हूँ मैं।।
Originally published in hi
Shubhangani Sharma
18 Dec, 2020 | 0 mins read
We learn... This is what we earn...
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Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Wah
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