बड़े....

बड़ों का साया, ईश्वर की छाया।।

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 12 Sep, 2021 | 1 min read
Respect our elders

बड़ों के कड़वे बोल, 
औषधीय गुण लिए होते हैं...
क्योंकि कुछ वर्ष उनके अनुभव के, 
हमसे अधिक होते हैं।।

चुभते हैं अंतर्मन तक, 
याद रहते हैं मृत्यु पर्यंत तक,
मौन हो सुन लो, 
काँटे भी तो सुंगंधित 
पुष्प में ही होते हैं।।

सिखाते नहीं हर बात लिखकर,
बनाते हैं हमें - हम, 
खुद मिटकर...
पूज लिया करो ऐसे 
अनोखे कारीगर को,
ऐसे कुम्हार तो बड़े 
बिरले ही होते हैं।।

सानिध्य उनका नीम की छांव सा, 
अस्तित्व उनका पुरातन गाँव सा...
सहेज कर रख लिया करो उन्हें,
क्योंकि संस्कृति के बिना 
हम अधूरे होते हैं।।


शुभांगनी शर्मा
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Shubhangani Sharma

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