शहीद की शहादत

एक शहीद के जज़्बात....

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 27 Jan, 2022 | 1 min read
#patriotism

मौत कहाँ मुझे मुझसे छीन पाएगी,

मैं जितना मरूँगा सरहद पर... 

उतनी मेरी साँसें हवा में घुल जाएगी ।।


जानता हूँ... मैं बहका तो ये मिट्टी बिक जाएगी...

सोच यही मिट जाता हूँ मैं,

कि मेरी शहादत रंग लाएगी।।


ना जाने... ये कैसी मोहब्बत है...

जो जान लेकर ही जाएगी...

बस याद रखना मेरे वतन,

तुम्हारी हर हँसी मेरी कुर्बानी से ही आएगी।।


मैं बेशक़... कभी अपने घर का ना हो सकूँगा...

तो क्या हुआ?? मेरे नाम की शमाँ,

हर घर में जलायी जाएगी।।


मेरे हिस्से की थाली...

हर दिन मेज़ पर सजायी जाएगी,

मेरे बिस्तर से मेरी ख़ुशबू अब भी आएगी, 

पर मैं सोया रहूँगा मेरी सरज़मीं की गोद में...

और मेरी हमसफ़र, सर उठा....

मेरे नाम के तमगे से सजायी जाएगी।।


शुभांगनी शर्मा

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