मैंने चुना सच

मेरा चुनाव सच की राह पर चलना है, कांटे छुएंगे दामन को...पर सच को ढाल बना चलते रहना।।

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 11 Apr, 2021 | 1 min read
Truth

सदैव चुना मैंने...

सच के साथ खड़े रहना,

क्यों चुनु मैं....

दरिया के बहाव के साथ बहना।।


इस सच के प्रेम को मेरी,

मूर्खता कहो या बग़ावत...

पर सीखा है मैंने,

सच के साथ डटे रहना।।


हाँ, अक्सर अकेले भी...

रह जाती हूँ मैं।

पर भाता है मुझे,

सच की राह पर टूटते रहना।।


कठिन है राह जानती हूँ,

होते हैं अपने भी पराये ये मानती हूँ,

पर आता है मुझे,

सच से सारे कपट समेट लेना।।


कहते हैं लोग...

बड़ी कठिन है सच्चाई की राह।

सीख लिया है मेरे ज़िद्दी व्यक्तित्व ने, 

इस राह पर हिम्मत से डटे रहना।।


एक अकेली मैं ही,

सच से रोशन हुई तो क्या?

इसमें लुत्फ़ बहुत है यूँ सच की...

रोशनी को सहेजते रहना।।


साक्षी है ईश्वर मेरा,

सच की राह पर।

चुनती रहूंगी आजीवन,

सच के प्रेम पर मिटते रहना।।


शुभांगनी शर्मा

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Shubhangani Sharma

shubhanganisharma

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Kumar Sandeep · 2 years ago last edited 2 years ago

    उत्कृष्ट अभिव्यक्ति

  • Shubhangani Sharma · 2 years ago last edited 2 years ago

    धन्यवाद अनुज

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