मैं राजकुमारी...अपने माता पिता की...

एक बेटी की भावनाएं उसकी परवरिश को लेकर।

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 27 Sep, 2020 | 1 min read

हाँ मेरे माता पिता ने मुझे अलग ढंग से पाला है,

जीवन के हर रंग में मुझको ढाला है।।

खुली हवा में सांस लेना सिखाया है, 

बन्द दरवाज़े में आह भरना नहीं,

मेरे आसमान को उन्हीं ने संभाला है...

हां उन्होंने मुझे अलग अंदाज में पाला है।।

बेशक मेरी माँ ने, कभी रोटियों को गोलाई से बेलना...

मुझे नहीं सिखाया है...

पर हर समस्या का हल खोजने लायक बनाया है,

हां उन्होंने मुझे अलग अंदाज़ में पाला है।।

बेतरतीब से घर को जमाना भी,

शायद आता नहीं मुझको

पर ज़िन्दगी को सुलझाए रखना...

उन्होंने मुझे खूब सिखाया है,

क्योंकि उन्होंने मुझे कुछ अलग ढंग से पाला है।।

हर परिस्थिति में ढल जाना, 

गिर जाओ तो संभल जाना...

ये जुमला कंठस्थ कराया है,

उन्होंने मुझे ऐसे ही पाला है।।

कभी कहा नहीं मुझसे कि... 

सजी संवरी रहो सदा,

ना खुद के रंग रूप पर,

फिदा होना सिखाया है...

थोड़ा बेढंगे होकर भी पूरे होते हैं..

ये उनकी आँखों ने बताया है..

क्योंकि उन्होंने मुझे अलग अंदाज़ में पाला है।।

खुशियों को खुद में खोजना, चीज़ों में नहीं...

उन्होंने यही एहसास कराया है...

क्योंकि उन्होंने मुझे अलग ढंग से पाला है।।

नहीं झिझकती कभी मैं निर्णय लेने में,

क्योंकि उन्होंने मुझे इस काबिल बनाया है...

अपनी पतवार मैं खुद, हर दम यही बताया है....

क्योंकि उन्होंने मुझे अलग अंदाज़ में पाला है।।

नज़रें झुकाना नहीं आँख मिलना सिखाया है, 

बेख़ौफ़ हो अपने ख़यालात को ज़ाहिर करना सिखाया है...

क्योंकि उन्होंने मुझे अलग अंदाज में पाला है।।

मुझसे कई शिकायतें होंगी तुम्हें जानती हूँ,

पर मैं ऐसी ही हूँ,

मेरे रब ने मुझे ऐसा ही बनाया है...

राजकुमारी हूँ उनकी, 

राजकुमारी जैसे ही ढाला है।।

पर नहीं अधिकार किसी को यह कहने का कि,

तुम्हारे माता पिता ने तुम्हें कैसे पाला है???


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