कुछ एहसास...

कुछ एहसास.... बस दिल जानता है।।

Originally published in hi
Reactions 0
371
Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 19 Feb, 2022 | 0 mins read
Love

कई एहसासों की ओट में,

मैं कुछ एहसास छुपा लेती हूँ।।


तुम्हारी कही अनकही बातों से,

मैं कुछ नयी बातें बना लेती हूँ।।


हर टूटे हुए लम्हे को जोड़कर,

मैं यादों से रिश्ता निभा लेती हूँ।।


तुम्हारी बातें तो तुम ही जानों,

मैं तो तुम्हारे झूठ को भी सच मान लेती हूँ।।


जो कभी तुम ना सुन पाओ मेरी बातें,

मैं आईने को सबकुछ सुना लेती हूँ।।


तुम तो चाँद हो चमकते हुए,

मैं तुम्हारी चाँदनी को ही अपना बना लेती हूँ।।


दूरियों के तलबगार तो हम भी ना थे,

पर अब दूरियों को ही किस्मत बना लेती हूँ।।

0 likes

Published By

Shubhangani Sharma

shubhanganisharma

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.