।।दरकार गुरु की।।

हमें हमेशा एक गुरु की आवश्यकता होती है जो हमारा मार्गदर्शन कर सके और हमें संभाल सके। ऐसे ही गुरु के लिए....

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 04 Sep, 2020 | 1 min read

एक अदद गुरु की दरकार है मुझे,

जो मेरी रूह को बूझे।।

बूझ सके जो मेरे शब्दों की पहेली को, 

कुछ आड़ी तिरछी ही सही बदल दे हाथों की लकीरों को।

बिना गुरु के कुछ भी ना सूझे,

एक अदद गुरु की दरकार है मुझे।।

ना उसकी पेशानी पर लकीरें आए मेरे बेतुके सवालों से,

मेरे ख्यालों को अपने ज्ञान से सींचे,

ऐसे गुरु की दरकार है मुझे।।

मेरी झुकी निगाहों को मेरा डर न समझे,

मैं जो कह भी ना पाऊं ऐसे मेरी अल्फाजों को बूझे,

ऐसे गुरु की दरकार है मुझे।।

जो आंखें दिखा कर मेरी सोच को न टोके,

ना मेरे सामने अपनी हंसी को रोके।

मैं अगर ख़ौफ़ में हूं तो बढ़कर गले लगा ले मुझे,

ऐसे गुरु की दरकार है मुझे।।

ज्ञान – प्यार - दुलार - इज़्ज़त दे पाए मुझे, 

घोर तिमिर से रोशनी में खींचे मुझे....

ऐसे गुरु की दरकार है मुझे।।

* अदद - संख्या

* दरकार - ज़रूरत या आवश्यकता

* पेशानी - माथा , ललाट


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Shubhangani Sharma

shubhanganisharma

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • shivani saxena · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत सुँदर पंक्तियाँ

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