मैं पूरी हूँ

एक दूजे से ही हम पूरे हैं, वरना हम अधूरे हैं।।

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 24 Oct, 2020 | 1 min read
Relationship#love

मैं पूरी हूँ

तुमसे मिलने के बाद 

नहीं अब मैं अधूरी हूँ, 

हूँ मैं तुमसे और तुम मुझसे,

मैं भी तुम्हारी धुरी हूँ...

पर मैं तुमसे ही पूरी हूँ।।

तुम हो सौम्य, मैं अल्हड़ थोड़ी,

तुम बिन मेरी हर बात अधूरी

कहानी मेरी तुमसे ही पूरी..

तुमसे ही हर शब्द कहानी का,

तुम नहीं तो मैं कोरी कोरी हूँ..

तुमसे ही मैं पूरी हूँ।।

तुम सादा से दोहे के जैसे

मैं प्रेम गीत की फेरी हूँ...

जीवन कुम्हार के चाक के जैसा

मैं मिट्टी की ढेरी हूँ,

तुमसे से ही आकार मिला मुझे,

इसलिए मैं तुमसे ही पूरी हूँ।।

हर पल मेरा अब है तुम्हारा,

तुमसे मेरा हर पल प्यारा...

तुम मैं, मैं तुम, फर्क ना कोई..

अब तो तुम बिन मेरा अर्थ ना कोई,

तुम श्रद्धा तो मैं सबुरी हूँ,

मुझसे तुम और हूँ तुमसे मैं,

हाँ, मैं तुमसे ही पूरी हूँ।।





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Shubhangani Sharma

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