मेरे नाना - एक रुपये की बरकत

एक याद मेरे नानाजी "कक्का" की।

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 02 Sep, 2020 | 1 min read



मेरा जन्म एक ब्राह्मण कुल में हुआ। धर्म के साथ साथ कर्म से भी हमारा परिवार पूजा अर्चना में लीन रहा करता था। कारण था मेरे नानाजी का पुजारी होना। हमारे शहर के एक प्रसिद्ध देवालय के पुजारी होने के साथ वे एक निडर एवं परोपकारी व्यक्ति थे। हालांकि यहाँ उनके गुणों के बखान करने का कोई औचित्य नहीं है। यहां मैं बात करना चाहूंगी उनके दिए एक रुपये से।


कमाल की बात यह है कि उनके हाथ मे जादू था। इतिहास जानने का एक स्त्रोत होता है कहानियां। तो जो हमने सुना और उससे जो समझा उसी के आधार पर आगे की बात कहूंगी। नानी कहती हैं , मेरे नानाजी अपने दो भाइयों के साथ अपने गांव से भाग कर आ गए थे माता पिता के देहांत के बाद। कारण शायद पारिवारिक क्लेश और संपत्ति की जद्दोजहद रही होगी। हालांकि उनके लिए उनकी एवं उनके भाइयों की सुरक्षा के लिए वे सब त्याग के अपने हाथ पैरों साथ आ गए। उनका संघर्ष अपने छोटे भाइयों के साथ तो उन्होंने ने ही जिया और भोगा होगा। पर जो हमें ज्ञात है वह है “ एक रुपये”। उन्हें मज़दूरी के लिए एक रुपए मिला करते थे। उनके बहुत से गुणों में से एक यह गुण भी था की वे जानते थे कि गुण और मुद्रा का गुणा किस प्रकार से कर सकते हैं। 

उन्होंने एक मिठाई की दुकान की शुरुआत की जो आज भी हमारे शहर में है। और धीरे धीरे जीवन की गणित में गुणा भाग करते हुए स्थिर हो गए। वे, जैसा कि हमने बताया मेहनती थे तो मेहनत और व्यक्ति की कद्र करना जानते थे।

उनके सानिध्य में जो भी आया उसने उन्नति की। चाहे वह उनके कर्मचारी हों या उत्तराधिकारी। यही उनका जादू था। पारस की तरह जिसे उन्होंने छुआ वह सोना बन गया।

हमें हमारे विद्यालय और कॉलेज के लिए बस वहीं से लेना होती थी जहाँ नानाजी का मंदिर था। बस देवी माँ के दर्शन के साथ साथ एक रुपये का प्रसाद भी मिलता। और नाना का प्यार भी। भगवान की कृपया से यह प्रसाद हमारे लिए बरकत बन गया। उनके जैसे मेहनत करना और लोगों की कदर करना हम भी सीख गए। 

जीवन में बहुत कुछ देखा एवं सीखा। और बहुत कुछ पाया। नानाजी की बहुत सारी बातें याद हैं। उनका प्यार और नाराज़गी व्यक्त करने का अजीब तरीका। और भी बहुत कुछ...........

और उनके एक रुपये की बरकत........हमेशा जीवन और मन में अंकित रहेगी। और याद हमेशा रहेगी मेरे प्यारे "कक्का" की।

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Shubhangani Sharma

shubhanganisharma

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Aman Arora · 3 years ago last edited 3 years ago

    Nice

  • Namrata Pandey · 3 years ago last edited 3 years ago

    मधुर स्मृति कक्का जी की

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