देश मेरा बदल रहा है,
दिन प्रतिदिन संवर रहा है।
नए पंख पर हो सवार,
नित नए आयाम गढ़ रहा है।
देश मेरा बदल रहा है....
झुकना तो हमारी नम्रता की निशानी थी,
अब संबल हो झुकाना भी सीख रहा है।
देश मेरा बदल रहा है।।
तकनीक हो या अध्यात्म की ताकत,
हर ओर से निखर रहा है।
देश मेरा बदल रहा है।।
स्वयं पर निष्ठा से सदियों की कुंठा से उबर रहा है,
आडंबरो से ऊपर उठ नए भारत का निर्माण कर रहा है।
देश मेरा बदल रहा है।।
सौम्यता की बोली छोड़,
हुंकारों में ढल रहा है।
आंखों में आँखे डाल विश्व के,
अपने अस्तित्व को प्रबल कर रहा है।
देश मेरा बदल रहा है ।।
हर ओर से, हर छोर से,
अपने तिरंगे को बुलंद कर रहा है।
कैसी भी हो परीक्षा,
हर बार मेरा देश सफल रहा है।
देश मेरा बदल रहा है।।
Comments
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Nice
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