वह दौर... बिजली...

एक समय बिजली की सिर्फ़ आवश्यकता रहती थी पर अब वह जीवन है। उसी समय की एक छोटी सी सैर...

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 22 May, 2022 | 1 min read
Electricity

एक समय कुछ ऐसा था जब तुम्हारे जाने से...

शोक नहीं बल्कि शौक़ बाहर आता था।।


तुम्हारे इंतज़ार में छत पर कभी ताश के पत्ते,

तो कभी बिछोना बिछ जाता था।।


मोमबत्तियों की रोशनी में ठहाके लगना तो आम था, 

गर्मी से बचने को दादी का बिजना हवा फैलाता था।।


माँ का बेलन लालटेन में भी शिकायत ना करता था,

एक चिमनी की रोशनी में साथ खाना बड़ा भाता था।।


दुनिया जहांन के किस्से का पिटारा यूँही खुल जाता था,

तो कोई युगल चुपके से रोमांस फरमाता था।।


तुम्हारी ज़रूरत तो तब भी थी ए - बिजली रानी,

पर हमारे मन को तुम्हारा इंतेज़ार ना यूँ सताता था।।


उस समय तुम आवश्यकता थीं पर अब हो जीवन,

पर तुम्हारा ना होना तब हमें अधिक भाता था।।

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Shubhangani Sharma

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