Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 29 Jan, 2023
प्रकृति की ओर....
पहियों पर थोड़ा सा विराम लगाना होगा, फिर कदमों को पहिया बनाना होगा।। मशीनों में उलझ कर रह गयी है ज़िन्दगी, अब इस ग़ुलामी से भी निज़ात पाना होगा।। ईश्वर की दी जन्नत सी ज़िन्दगी, है ज़िम्मा हमारा... इस अमानत को हमें संभालना होगा।। हमारा तन है मंदिर के जैसा, इसे प्रकृति के अनुसार ढालना होगा।।

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by shubhanganisharma

29 Jan, 2023

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