अधूरे ख़्वाब

अधूरे ख़्वाबों के साये में रहना पसंद है मुझे।

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Shilpi Goel
Shilpi Goel 28 Feb, 2021 | 1 min read
Incomplete dreams 1000poems hindi poetry

अधूरे ख़्वाबों के साये में रहना पसंद है मुझे


अधूरे ख़्वाबों के साये में रहना पसंद है मुझे

क्योंकि संघर्ष का कड़वा नहीं,

मीठा घूंट पीना पसंद है मुझे।

चाहूं अगर तो छू लू उड़कर मैं आसमान

लेकिन

शनैः शनैः चलकर मंजिल तक पहुँचने पसंद है मुझे।

अधूरे ख़्वाबों के साये में रहना पसंद है मुझे


लोग कहते हैं एक सख्त पत्थर मुझे

जो गिरकर भी नहीं टूटा कभी,

लेकिन

उन्हें क्या पता गिरकर टूटना नहीं

गिरकर संभलना पसंद है मुझे।

अधूरे ख़्वाबों के साये में रहना पसंद है मुझे


मिलने को तो मिल जाती है जीत पहली ही दफा

लेकिन

पहली दफा में मिलने वाली जीत अहंकार साथ लाती है

अहंकार की अपेक्षा

हार से मिलने वाला जीत का पैगाम पसंद है मुझे।

अधूरे ख़्वाबों के साये में रहना पसंद है मुझे


अधूरे ख़्वाब हमेशा गतिशील रहने को करते हैं प्रेरित

और गतिशील रहना ही पसंद है मुझे।

हाँ, इसलिए ही,

अधूरे ख़्वाबों के साये में रहना पसंद है मुझे।

- शिल्पी गोयल (स्वरचित एवं मौलिक)


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