स्वप्न

कुछ स्वप्न सच्चाई से परे होते हैं तो कुछ को सच करना पड़ता है, लेकिन बच्चों के लिए हर स्वप्न का अलग ही महत्व होता है क्योंकि वो स्वप्न और सच्चाई में ज़्यादा फर्क नहीं समझ पाते। आज आपको एक ऐसे ही एक अनोखे स्वप्न की कहानी सुनाने आई हूँ जिसे देखा था प्यारी सी सिया ने, आइए जानते हैैं क्या छिपा था उसके स्वप्न में.......

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Shilpi Goel
Shilpi Goel 18 Apr, 2022 | 1 min read
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"दादी, क्या सच में भूत होते हैं?"

"हाँ, भूत सच में होते हैं बिटिया रानी।" दादी ने कहा।

"क्या आपने कभी भूत को देखा है?" सिया ने फिर से सवाल किया।

"हाँ देखा है ना, एक भूतनी तो मेरे सामने ही बैठी है।"

दादी ने हँसते हुए कहा।


सिया ने मुँह फूला लिया।

"मुझे नहीं करनी आप से बात, आप मुझे भूतनी कहते हो।"


"अरे तो और क्या कहूँ, तुम अपने इन बालों में जब तक तेल डलवाकर कंघी नहीं करोगी तब तक सब तुमको ऐसे ही कहेंगे। "

दादी ने प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा।


"नहीं दादी मुझे ऐसे ही अच्छा लगता है, भूतनी लगूँ या कुछ और।"

सिया ने तुनक कर कहा।

दादी और सिया दोंनो हँसने लगी।


फिर दादी ने सिया के बालों में तेल लगाकर कंघी कर दी।

"अब लग रही है ना मेरी रानी बिटिया बिल्कुल परियों जैसी।"

"दादी मैं बाहर खेलने जाऊँ?" सिया कहती है।

"नहीं बेटा, अभी नहीं, बाहर बहुत गर्मी है तुम बीमार पड़ जाओगी" दादी ने कहा।

"मैं घर पर क्या करूँ दादी।"

सिया नहीं मानती और वो बाहर खेलने चली जाती है।

सिया बाहर खेलते वक्त झूले से गिर जाती है और उसे बहुत चोट लगती है, वो ज़ोर-ज़ोर से रोने लगती है।


रोने की उस आवाज़ से सिया की नींद टूट जाती है और वह देखती है कि, वह तो अपने बिस्तर पर सोयी ही और उसने देखा आस-पास कोई भी नहीें था और सिया डर के मारे पसीने से तरबतर हो जाती है।


"शायद वह स्वप्न देख रही थी?"

सिया खुद से ही सवाल करने लगी।


लेकिन ऐसा स्वप्न क्यों, दादी को गुजरे पूरे सात वर्ष हो गए और इन सात वर्षों में सिया को कभी ऐसा स्वप्न नहीं आया पहले।


"आखिर क्या वजह है जो उसे आज यह स्वप्न दिखाई पड़ा?"

सिया सोच में डूब गयी।


सिया ने कितनी ही बार अपनी माँ से इस सपने के बारे में बात करने की कोशिश करी लेकिन वो यह कह कर टाल जाती की तुम अपनी दादी की लाडली पोती जो ठहरी, इसीलिए तुम्हें यह स्वप्न दिखाई पड़ा।

सिया ने फैसला कर लिया था इस स्वप्न की सच्चाई पता करने का।

उसे याद आया दादी ने कहा था भूत होते हैं तो कहीं दादी भी कोई भूत तो नहीं बन गयी। नहीं -नहीं ऐसा कैसे हो सकता है, उसकी दादी भूत नहीं बन सकती।

सिया खुद से ही सवाल-जवाब करने लगी थी।

सिया ने कभी कोई भूत नहीं देखा था इसीलिए यह सब सोचकर उसके रोंगटे खड़े हो गये।

"अगर दादी भूत बन भी गयी तो क्या, तुझे कुछ नहीं कहेंगी तू तो उनकी लाडली जो ठहरी।"

सिया ने स्वयं को ही ढ़ाढ़स बँधाते हुए कहा।

तभी सिया की दोस्त रीता उसके घर आती है और उसे स्कूल ट्रिप के बारे में बताती है।

पिछले कुछ दिनों से सिया तबियत सही ना होने की वजह से स्कूल नहीं जा पा रही थी।

सिया अपने घर पर स्कूल ट्रिप के बारे में बात करती है, उसकी तबियत खराब होने की वजह से माँ मना करती है पर उसके पापा कहते हैं, "बच्ची बहुत दिनों से घर पर है, थोड़ा बाहर घूमेगी तो मन बहल जाएगा और शायद तबियत भी सुधर जाए।"

आज सिया का स्कूल ट्रिप था। सिया और रीता ने पूरी तैयारी कर ली थी जाने की।

दोंनो को घर वालों ने समझा दिया था संभल कर रहने को।

सुबह होते ही रीता जल्दी उठकर तैयार होकर सिया के घर के लिए निकल जाती है और वहीं से खुश होते हुए दोंनो स्कूल के लिए।


रास्ते में स्कूल बस का जबरदस्त एक्सीडेंट होता है और कुछ बच्चों को चोट भी लगती है।

सिया और रीता खिड़की वाली तरफ बैठे थे, ऐसे में उन्हें चोट आने की संभावना ज्यादा थी, लेकिन ना जाने कैसे उन्हें खरोंच तक नहीं आती।

वापिस घर आकर सिया यह सब बातें अपनी माँ को बताती है तब उन्हें उस सपने की हकीकत पर भरोसा होता है और समझ आता है कि वह स्वप्न सिया की दादी का बस एक इशारा भर था कि सिया स्कूल ट्रिप पर ना जाए पर वो लोग इस बात को समझ नहीं आते और ईश्वर की कृपा से अनहोनी होने से बच जाती है।


उधर सिया का मानना था कि यह सब उसकी दादी की वजह से हुआ है जो आज वह सही-सलामत घर वापिस लौट आई है तथा वह अपनी प्रार्थना में ईश्वर के संग-संग अपनी दादी को भी शुक्रिया अदा करती है।


सिया को अब विश्वास हो गया था कि, चाहे भूत इस दुनिया में होते हों या ना हों लेकिन जो लोग आपसे प्यार करते हैं वो इस दुनिया से जाकर भी किसी ना किसी तरह से आपकी मदद कर कर अपने होने का एहसास करा जाते हैं जैसा सिया की दादी ने सिया के साथ किया एक स्वप्न के माध्यम से।

✍शिल्पी गोयल (स्वरचित एवं मौलिक)







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