मझदार

छोड़ गए मझदार में, बेनाम कश्ती की तरह। बदल गए बताया नहीं, मौसम की तरह।।

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Shilpi Goel
Shilpi Goel 04 Jul, 2021 | 1 min read
Memories Life Incomplete dreams Feelings

बदल गए बताया नहीं, मौसम की तरह।

छोड़ गए मझदार में, बेनाम कश्ती की तरह।।


कितनी ख्वाब देखे थे तुम संग

सब अधूरे ही रह गए;

किये थे वादे जो तुमने कभी

सब बेमानी हो बह गए;

जाने क्या खता हुई मुझसे

हम-तुम अजनबी बन रह गए;


बदल गए बताया नहीं, मौसम की तरह।

छोड़ गए मझदार में, बेनाम कश्ती की तरह।।


शायद किसी गलतफहमी ने हमारे रिश्ते में जगह बनाई;

इसलिए ही इस रिश्ते की टूटने की आज यूँ नौबत आई;

याद तो आज भी आती है लेकिन

मुस्कान की जगह आँसू दे जाती है;

तोड़कर दिल मेरा जाने तुमको कैसे

रातों को सुकून की नींद आती है;


बदल गए बताया नहीं, मौसम की तरह।

छोड़ गए मझदार में, बेनाम कश्ती की तरह।।


जानती हूँ अब कभी मुलाकात ना होगी हमारी;

इसलिए दुआओं को ही देती हूँ मैं यह जिम्मेदारी;

तेरे-मरे साथ की लिख दूँ अब मैं अंतिम कहानी;

भुलाकर वो सुहाने पल, जीवन को दूँ नई रवानी;


बदल गए बताया नहीं, मौसम की तरह।

छोड़ गए मझदार में, बेनाम कश्ती की तरह।।

- शिल्पी गोयल (स्वरचित)

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