मोहब्बत

हिन्दी कविता

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Shilpi Goel
Shilpi Goel 03 Feb, 2021 | 1 min read
1000poems hindi poetry

जिनसे की थी कभी बेहिसाब मोहब्बत

सोचा ना था

यूँ अनजान हो जाएगी

वो नजर हमसे


जिस दिल में बसते थे वो हमेशा

रह जाएगा

वो वीरान कुछ ऐसे


हम तो आज भी दीवाने हैं उनके

चाहें दूर हो जाएँ

वो कितने भी हमसे


हमने कभी

चाहा ना था

रह जाएँ कुछ

अधूरे किस्से


मजबूर थे हम

इस कदर

सिवा उनकी खैरियत

माँग ना सके कुछ और

अपने रब से


हमने तो बस एक

नजर भर देखा उनको

और वो चल दिए

दूर बहुत दूर हमसे


रहें वो कहीं भी

चाहे इस जहाँ में

चाहते हैं हम बस इतना

कभी ना हों

वो गुमसुम से


रब दे दे हमारे हिस्से की

खुशियाँ भी उनको

रोशन हो उनकी दुनिया

हर तरफ से


बस यही सब दुआ

हमारी अगर कुबुल हो जाए

तो हम भी हो जाएँ

फिर कुछ बेफिक्र से

- शिल्पी गोयल (स्वरचित एवं मौलिक)

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Shilpi Goel

shilpi goel

Comments

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  • Sonnu Lamba · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत बढिया

  • Shilpi Goel · 3 years ago last edited 3 years ago

    शुक्रिया सोनू जी।

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