उड़ान

अपने हौसलों की उड़ान भरती हूँ, तो क्या कुछ गलत करती हूँ?

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Shilpi Goel
Shilpi Goel 08 Mar, 2021 | 1 min read
1000poems Women hindi poetry

हटाकर आज बंदिशों का पहरा

अपने सपनों की उड़ान भरने चली,

स्वयं को सशक्त कर मैं गहरा

नई दुनिया में कदम रखने चली।


मुझे सिर्फ गुलाब मत समझना

कांटे भी समेटे हूँ स्वयं में मैं,

फर्ज है मेरा जीवन को महकाना

स्वयं की सुरक्षा भी जानती हूँ मैं।


छू जाऊँगी जीत की ऊँचाई को

ऐसा नहीं कहती हूँ मैं

पर हाँ,

एक अनुभव नया जरूर पा जाऊँगी,

स्वयं को बुलंद कर मैं

एक नये मुकाम पर ले जाऊँगी।


सुन ले यह जमाना,

अगर बर्दाश्त नहीं जीत मेरी तुझसे

तब भी देखने जरूर आना,

क्योंकि,

तालियों की गड़गड़ाहटों के बीच

मुझे मेरे वजूद को है पहचानना।

- शिल्पी गोयल (स्वरचित एवं मौलिक)

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Comments

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  • Babita Kushwaha · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत बढ़िया

  • Shilpi Goel · 3 years ago last edited 3 years ago

    शुक्रिया।

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