माँ(कविता)

माँ की जगह इस दुनिया में कोई दूसरा नहीं ले सकता।

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Shilpi Goel
Shilpi Goel 27 Jan, 2021 | 1 min read
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माँ होती ममता की मूरत

माँ सी ना कोई दूजी सूरत


माँ होती है प्रथम गुरू

उसी से करूँ दिन शुरू


माँ होती सबका हमसाया

माँ चंदा- सी शीतल छाया


माँ देती ऐसे संस्कार

जिनका ना होता कोई पार


माँ करती सूरज- सा रोशन

पास रहती है वो हर क्षण


माँ सा ना कोई दूजा मित्र

माँ सिखाए दुनिया की रीत


माँ की निराली हर कहानी

माँ देती अनमोल निशानी


माँ से कभी ना जाऊँ दूर

लुटाऊँ प्यार उसपर भरपूर


माँ में बसा सारा संसार

माँ के चरणों में ईश्वर का द्वार 

- शिल्पी गोयल (स्वरचित एवं मौलिक)

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