हम बदल गए हैं।

देश को बदलने से पहले खुद को बदलना जरूरी है। तभी पूरी होगी सब कोशिशें जो अब तक अधूरी हैं।।

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Shilpi Goel
Shilpi Goel 20 May, 2021 | 1 min read
India Humanity changes Do you think India is not a safe place to live in?

चाहतों के बोझ तले दब कर बोझिल से हो गए हैं,

बदले में क्या मिलेगा बस यही सोचकर

मदद के लिए उठे हुए हाथ रुक गए हैं,

अपनेपन के दायरे भी आज बहुत छोटे हो गए हैं,

अंधों सी दौड़ती इस दुनिया में हम भी अंधे हो गए हैं।


जाने हम कौन से जहाँ में खो गए हैं,

खुदगरज़ बहुत ज्यादा हो गए हैं,

भूलकर प्यार और ममता की भावनाएं सारी

बहुत असंवेदनशील से हो गए हैं।


संबंध भी तो कोरे कागज़ से हो गए हैं,

परिवार चार रास्तों में लुप्त हो गए हैं,

रह गई है तो पैसों की हवस लोगों में

सब रिश्ते बेमानी से हो गए हैं।


धोखा खा-खाकर ही शायद हम भी

धोखा देनेवालों की कतार में शामिल हो गए हैं,

उम्र बढ़ने के साथ-साथ समझ सारी खो गए हैं,

ऊपर उठने की चाह में हम और भी नीचे हो गए हैं।


हल्की सी डांट पर रोने वाले हम आज पत्थर से हो गए हैं,

बनावटी संबंधों को अपना समझने की गलती कर

उन्हीं के द्वारा पैरों तले हम कुचल दिए गए हैं,

दो पल सुकून के नसीब नहीं हमको

बदलते वक्त के साथ हम इतना जो बदल गए हैं।


निकालने को तो निकालते हैं सबमें गलतियाँ हज़ारों

लेकिन खुद को तराशना हम शायद भूल गए हैं,

कुछ भी नहीं रहा जीवन में यहाँ पहले जैसा

यही सोच-सोचकर कितने बेचैन से हो गए हैं,

दूसरों में दोष ढूँढ़ते-ढूँढ़ते भूल बैठे हैं कि

हम स्वयं भी तो स्वयं से नहीं रह गए हैं। 


आज जरूरत है हमारे देश को जिम्मेदार लोगों की

तो क्यों हम अपने कर्तव्य से विमुख हो गए हैं,

संभालने की जगह देश की कमान इन हाथों में

क्यों पलायन करने को मजबूर हो गए हैं,

सरकार को दोष देने से पहले देखो अपने अंदर

क्या एक नागरिक की जिम्मेदारी पर खरे उतर गए हैं।


अपनाकर अनाथ बच्चों को दर्शाया है जनता ने

इंसानियत आज भी हम जिंदा रखे हुए हैं,

जरूरतमंद तक पहुँचाकर भोजन हम

एक नई मिसाल कायम कर रहे हैं,

सब तो एक जैसे नही यहाँ पर

यह अब साबित करने पर मजबूर हो गए हैं,

देश को बनाने की ख़ातिर इंसानियत से भरपूर

एक नई कोशिश करने को शुरू तत्पर हो गए हैं।

- शिल्पी गोयल (स्वरचित एवं मौलिक)





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