गुनाह तो नहीं???

Beti hu beta nhi bs itna h frk sahi ?? Krti hu o jo mai tu v krta hai vhi bs itna sa hi frk sahi??

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Shilpa Singh Maunsh
Shilpa Singh Maunsh 30 Jan, 2021 | 1 min read

क्या एक लड़की का पिता होना गुनाह हैं?

क्या एक साधारण परिवार से होकर बड़े सपने देखना गुनाह हैं?

क्या एक बड़ी बहन होने के नाते मुझे सपने देखने का कोई हक नहीं हैं?

अगर हां तो सजा दो मुझे,


क्या खुद के लिए कुछ बोलना गुनाह हैं?

क्या समाज से हटकर खुद की पहचान बनाना गुनाह हैं?

क्या एक लड़की होने के नाते मेरा घर से बाहर रह कर पढ़ना मना हैं?

अगर हां तो सजा दो मुझे,


क्या खुद के फैसले लेना गुनाह हैं?

क्या अपने सपने के लिए भीड़ से अलग होना गुनाह हैं?

क्या मेरा खुद के लिए खुद के सपनो के लिए ज़िद करना गुनाह हैं?

अगर हां तो सजा दो मुझे,


अगर एक लड़की होने के नाते मेरा अपने लिए कुछ करना गुनाह हैं,

तो मुझे घर में क्यू रखा हैं जिन्दा जला दो मुझे,

मुझे लड़की होने की यही सजा दो मुझे,



ये कुछ सवाल आए थे मेरे किसी अपने के मन में,

उतार दिया उसने उन सवालों को कागज के कोरे पन्नो में,

देखे जो मैंने अल्फ़ाज़ उसके सहम सि गई,

किस तरह उस छोटी सी बच्ची ने जमाने की हक़ीक़त थी कहीं,

सोचा कुछ देर मैंने भी फिर उसके उलझे सवालों का जवाब दी,

उसकी हक़ीक़त को मैंने भी अपनी हक़ीक़त की आवाज दी,



एक लड़की के पिता का गरीब होना गुनाह नहीं हैं,

गुनाह तो हैं एक लड़के का अमीर पिता होकर भी दहेज मांगना,

एक साधारण परिवार की बेटी होकर बड़े ख़्वाब देखना गुनाह नहीं है,

गुनाह तो हैं उन सपनों को पूरा करने की हैसियत के बावजूद उसे रोकना,


खुद के लिए सपने देखना गुनाह नहीं हैं,

गुनाह तो है उन सपनों के बीच किसी को आने देना,

जमाने के हिसाब से अपने आप को बदलना,

एक लड़की का घर से बाहर रह कर पढ़ना गुनाह नहीं हैं,

गुनाह तो हैं बाहर रह रही हर लड़की को गलत समझना,


खुद के लिए फैसले लेना गुनाह नहीं हैं,

गुनाह तो हैं दूसरों के गलत फैसले को भी चुप चाप मानना,

अपने सपनों के लिए भीड़ से अलग होकर अपनी पहचान बनाना गुनाह नहीं हैं,

गुनाह तो हैं बेमन से भीड़ के साथ चलना,


खुद के सपनों को पूरा करने के खातिर ज़िद करना गुनाह नहीं हैं,

गुनाह तो हैं लोगों की गलत ज़िद को पूरा करना,

एक बेटी होना गुनाह नहीं हैं,

गुनाह तो हैं उसे बहू बना के दहेज के लिए जलाना,

अगर मैं गलत हूं तो बेशक सजा दो मुझे,।लेकिन अगर तुम गलत निकले तो अपना अंजाम खुद ही भुगतना।।


Composed by....Shilpa Singh 

Maunsh




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Shilpa Singh Maunsh

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