हमारा चाय जैसा इश्क।

हमारा चाय जैसा इश्क़।

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Shalini Narayana
Shalini Narayana 27 Jul, 2020 | 0 mins read

रिश्ते आज भी चाय पर ही बनते हैं।

वो कॉफ़ी पे मरता था,और मैं बिस्कुट और अदरक वाली चाय पे ।


उसे गाने पसंद थे,मैं ग़ज़ल की दिवानी थी।

वो सीसीडी पे बुलाता और मैं चाय की टपरी पे।

वो समुंदर का दिवाना,मैं पहाड़ों की दिवानी।

वो कड़क मिजाज,सांवला,तीखी तासीर लिए बिल्कुल मेरी चाय जैसा और मैं दुधिया,मिठी,उफनती महकती उसकी काफी जैसी।

उसे ख़ामोश रहना पसंद था और मुझे घंटों बातें करना।

वो दिसंबर की गुलाबी सर्दी का दिवाना मुझे बारिशों से इश्क़।

वो मेरी आंखों को पढ़ लेता और मैं उसकी ख़ामोशी।

१० साल बाद भी हम बहुत अलग हैं,पर हमारा इश्क सुबह की चाय जैसा है ताजग़ी,खुशबू ,उफान, गर्माहट और मिठास लिए।

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