दर्द भी तुम.. हमदर्द भी तुम

मन के जज्बात

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Seema sharma Srijita
Seema sharma Srijita 05 Feb, 2021 | 1 min read
1000poems #life # Love



पलकों की दहलीज के भीतर 

बसता है इक गहरा सागर 

जिसे रोक रखा है मैंने 

कभी बैठो फुरसत से पास 

तुम्हारे कंधे पर सर रख

हल्का कर लूं इन पलकों को 

बोझिल हो चुकी हैं 

अजीब बात है ना !

तुम्हारी बेरूखी ने जन्मा 

जिस सागर को 

वो तुम्हारी मौजूदगी में ही

बहना चाहता है 

तुमको नहीं पता शायद 

मेरी दुनिया तुमसे शुरू 

और तुम पर ही खत्म 

तुमको नहीं पता शायद 

मेरा दर्द भी तुम हो 

और हमदर्द भी तुम.... 

  -सीमा शर्मा सृजिता

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Seema sharma Srijita

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