आंखें जब भी बोलती हैं

मन के भाव

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Seema sharma Srijita
Seema sharma Srijita 11 Feb, 2021 | 0 mins read
1000poems


लाख कोशिशें कर लूं

छुपाने की मन की बातें

मन के भावों को खोलती हैं

जब भी आंखें बोलती हैं ...

मुस्कराहट के पीछे का दर्द हो

या हो मेरी खामोशियां

सबकी पोल खोलती है

जब भी आंखे बोलती है ...

झूठ बोल ले जाहें जितना जुबान

आंखों से होती है सच की पहचान

भावों को सच के पलड़े में तौलती है

जब भी आंखे बोलती हैं.... ...

खुशी हो या गम कोई

चमके या आंख नम कोई

हर बात का राज खोलती हैं

जब भी आंखे बोलती है.....

हंसती खिलखिलाती झूठी मुस्कान

ताकि बन सके जीवन थोडा़ आसान

उस झूठी मुस्कान के भेद खोलती हैं

जब भी आंखे बोलती हैं......

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Seema sharma Srijita

seemasharmapathak

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