जीवन का दरिया

जीवन की उथापोह को दर्शाती चंद पंक्तियां

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Seema sharma Srijita
Seema sharma Srijita 12 Dec, 2020 | 1 min read

बडा़ असीम है जीवन का ये दरिया 

जितना गहरा जाती हूं खो सी जाती हूं 

अनगिनत लहरें उठती हैं इसमें 

कभी खुशियों के आसमान पर पहुंचा देती हैं 

तो कभी गमों के सागर में डुबा देती हैं 

कभी डूबते डूबते संभल जाती हूं 

कभी संभलकर भी डूब जाती हूं 

जाना चाहती हूं उस पार 

जहां बैठकर ढूढं सकूं

सुकुन अपने मन का 

जहां मिल जाये कोई ऐसा कोना 

दुनिया का शोर छू भी ना पाये मुझे

मैं तन्हा बैठकर खुद से ही बतियालूं

इस दुनिया से दूर अपनी दुनिया बना लूं 

लेकिन चाहतें सबकी पूरी कहां होती हैं 

जीवन की अचानक उठने वाली लहर 

फिर से बहा ले जाती हैं मेरा हर ख्याब 

मैं कुछ देर मातम मना लेती हूं टूटते हर ख्याब का 

फिर उलझती रहती हूं जीवन के दरिये में बहती 

जो असीमित है .....


-सीमा शर्मा "सृजिता "

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