आओ हम सब शपथ लें

समाज मे में बदलाव लाना होगा... बेटों को नारियों की सम्मान करना सिखाना होगा कभी हम नारी को बलात्कार जैसा वीभत्स घटनाओं से बचा पायेगें...

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Seema sharma Srijita
Seema sharma Srijita 12 Oct, 2020 | 1 min read

जब से भी किसी लड़की के साथ बलात्कार जैसी भयानक, हृदय विदारक,दिल को चीर देने वाली घटना के बारे में सुनती हूं दिमाग़ फटता जाता है दिल चीखना चाहता है और पूछना चाहता है उन राक्षसों से आखिर क्या दोष था उस मासूम लड़की का? किस गुनाह की सजा दी गई उस बेचारी को? 

क्या -क्या सपने देखे होगें माता पिता अपनी प्यारी बिटिया को लेकर और क्या -2 सपने देखती होगी खुद वो लड़की अपने लिये.... लेकिन ये क्या? कुछ ही पलों में सब खत्म हो जाता है और कारण हमारे इस दोगले समाज में रहने वाली वो पुरूष राक्षस जाति जो अपने थोड़ी देर के आनंद के लिए किसी भी हद तक जा सकती है ,कितना भी नीचा गिर सकती है और सबसे बड़ी बात ये है कि ये राक्षस प्रवर्ति के लोग सभ्य रूप में हमारे बीच ही छुपे हुये हैं जो कब प्रकट हो जाए हमें कुछ नहीं पता |इनका शिकार किसी भी उम्र, किसी भी जाति ,किसी भी प्रदेश और किसी भी देश की लड़की बन सकती हैं |इन राक्षसों को तो बस अपनी प्यास बुझाने से मतलब है चाहे इसके लिए किसी का संसार ही क्यों न उजड़ जाये |

सोच- सोच कर दिल बैठ जाता है आखिर क्या हो रहा होगा उस घर में ? कैसे जी रहे होंगे वो माँ बाप जिनकी फूल सी बच्ची अब इस दुनिया में नहीं रही ? और उस लड़की का क्या जिसने अपनी बहन को इस हाल में देखा होगा? क्या कभी उभर पायेगी वह इस सदमे से? क्या डर नहीं लगेगा उसे अब घर से निकलने में? क्या विश्वास कर पायेगी वह भविष्य में किसी लड़के पर ? 

ना जाने कितने ही सवाल घूम रहे हैं दिमाग में और उनका उत्तर ढूँढ रहे हैं| इन सवालों के साथ एक सवाल और है मेरे दिमाग में - इन घटनाओं का जिम्मेदार आखिर है कौन? इस सवाल का जबाब में किसी से माँग नहीं रही बल्कि बताना चाहती हूँ | तो सुनिये इन घटनाओं की जिम्मेदार है हमारी सोच |हमारे समाज में केवल इस बात पर ध्यान दिया जाता है कि हम अपने घर की बेटियों को उचित शिक्षा दें ,उन्हें संस्कारी बनाये ,उन्हें आदर्श बनायें और उन्हें सबका सम्मान करना सिखाये लड़को का क्या ? उन्हें कौन सा पराये घर जाना है वो तो उनको कुछ सिखाने की आवश्यकता ही नहीं है |हम अपने बेटों को वो संस्कार नहीं दे पा रहे हैं, वो शिक्षा नहीं दे पा रहे हैं जो उन्हें महिलाओं का सम्मान करना सिखाये जो उन्हें एक सभ्य इन्सान बनाये | 

बलात्कार की घटना में एक बेटी ही नहीं मरती बल्कि मरती है उन लड़को के माता-पिता की परवरिश, माफ करिये लड़के नहीं राक्षस कहिये राक्षस |ऐसी घटनायें एक के बाद एक लगातार घटती जा रही हैं, हर दिन एक निर्भया, एक प्रियंका,एक मनीषा इन घटनाओं का शिकार हो रही है और हम कुछ नहीं कर पा रहे ,दुखी हो लेते हैं ,रो लेते हैं, कोस लेते हैं समाज को |लेकिन समाज तो हमसे ही है |ये राक्षस हमारी ही पैदाइश तो हैं या कहिये हमारी बुरी परवरिश का नतीजा |हम हमेशा से ही बेटियों को संस्कारी बनाने पर जोर देते आ रहै हैं और अब आवश्यकता है कि हम अपनी बेटियों के साथ -2 अपने बेटों को भी संस्कारी बनाये उन्हें महिलाओं का सम्मान करना सिखाये|अपने बेटों को राक्षस बनने से बचाये |

मैं खुद भी एक 5 साल के बेटे की माँ हूँ और मैं शपथ लेती हूँ मैं अपने बेटे को हमेशा औरतों का सम्मान करना सिखाऊंगी, उसे राक्षस बनने से बचाऊंगी |ज्यादा कुछ नहीं तो हम सभी मां बाप इतना तो कर ही सकते हैं | मेरे साथ -2 वे सभी माता पिता जो बेटों के माता पिता हैं, और इस लेख को पढ़ रहे हैं --शपथ लें कि वे सभी अपने बेटों को राक्षस बनने से बचायेगें और आज से ,अभी से उन्हें औरतों की इज्जत करना सिखायेगें|

और अन्त में बस यही कहना चाहती हूँ -

एक नन्हीं चिड़िया बोली

आती हूँ माँ दाना लेकर   

   माँ बाप ने बडे़ ही प्यार से भेजा

उसको मुस्कराकर   

 जब आ रही थी घर को

वो अपने पंखों को फैलाकर  

रस्ते में मिल गये दरिन्दे कुछ

पकड़ा उसको पास आकर

वो रोई थी ,गिड़गिड़ाई थी

बोली जाने दो मुझको घर 

सब इंतजार में बैठे हैं मेरे

मैं हाथ जोड़ती हूँ तेरे       

 मैं नहीं पहुँची तो

जिन्दा ही मर जायेगें सब

उन राक्षसों को उस चिड़िया पर

नेक दया नहीं आई 

काटे उसके पंख और

थी अपनी प्यास बुझाई 

फिर भी जी नहीं भरा

उन राक्षस के अवतारोंं का   

  जला दिया उस चिड़िया को

दिया ढेर बना अंगारों का 

वो तो दुनिया से चली गई

पर छोड़ गई इतना सवाल 

आखिर कब तक होता रहेगा ?

नन्हीं चिड़ियों का यही हाल,

नन्हीं चिड़ियों का यही हाल............ 

सीमा शर्मा पाठक "सृजिता"


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