बेरोजगारी

बेरोजगारी मिठना है

Originally published in hi
Reactions 0
316
Sana kousar
Sana kousar 24 Apr, 2022 | 0 mins read

लिख पढ़ कर भी बेरोजगार बना है

यंहा इंसान मायूस होकर घर बैठा है।

कागज़ो को लिए घर से निकलता है

एक उम्मीद से गली गली भटकता है

यहां इंसान मायूस होकर घर लौटता है।

तेरे साथी रोजगार बन गए तू ऐसे ही बैठा है

ऐसे तानों से ओ हर रोज परेशान है

यहां इंसान बेरोजगारी से टूटा है।

सरकार ने डिग्रियां देकर पैसा लूट लिया

रोजगार बनानेका वादा करके मुंह मोड़ लिया

नेताओं के भ्रष्टाचार से अनाड़ी यों को रोजगार बना दिया

करना पाया काम तो ओ नुकसान कर दिया।

बेरोजगारी से परेशान,रिश्तेदारों के बातों से हैरान

ज़िदगी से मायूस होकर बैठा है इंसान।

एक नही,लाख बैठे हैं ऐसे

इस देश में नजानें जी रहे हैं कैसे

इंसान को बेरोजगारी खा रही है ऐसे

फिर भी जी रहे हैं जैसे तैसे,जैसे तैसे।

देश के हर नागरिक को समझनी है ये बात

देश से बेरोजगारी मीठाना है,एकता नही

हर एक को काम देना है, छिन ना नही

देश से गरीबी भागना है,देशवासियों को नही

देश से बेरोजगारी मिठाना है,एकता नही।









0 likes

Published By

Sana kousar

sanakousar

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.