वो मिला

नाउम्मीद से सफ़र से उम्मीद सा वो मिला

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 05 Dec, 2020 | 1 min read
#hindipoetry #lovestory #my_pen_my_strength

एक अरसे बाद ज़िन्दगी का एक इशारा मिला,

बहुत इस्तेमाल होने के बाद मुझे सहारा मिला,


दरिया सा बहता चला, मुश्किलों से लड़ता हुआ,

एक हमसफ़र मिला ऐसे जैसे कोई किनारा मिला,


मुसाफिरों सा जीते हुए बस भटकना सीखा था मैंने,

भटकते भटकते ही मुझे कोई मुझ सा आवारा मिला,


हर गली, हर शहर से बस नाउम्मीदी ही हाथ लगी मेरे,

कोई मिला आज जैसे खुशियों का कोई पिटारा मिला,


हालातों से जूझकर क्या खोया, क्या पाया मैंने “साकेत",

वो मिला जैसे अँधेरे सफ़र में तकदीर का खोया सितारा मिला।


BY:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

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