और तुम करीब आने को कहते हो

कैसे करीब आऊँ मैं, जब ख़ुद को ही ख़ुद से दूर पाता हूँ।

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 08 Jul, 2020 | 1 min read
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तुम अपने करीब आने को कहते हो,

और मैं खुद को भी खुद से दूर पाता हूँ,

तुम हो कि हालातों की बात करते हो,

मैं हर वक़्त ही खुद को मजबूर पाता हूँ,


मजबूर हूँ कभी, झूठे रिश्तों को निभाने के लिए,

सच्चे रिश्तों की पहचान कहाँ हो पाती है अब,

मजबूर हूँ कभी, सच्चे लोगों से दूर जाने के लिए,

तुमसे भी दिल की बात, कहाँ हो पाती है अब,


जब जब तलाशता हूँ खुद को, दर्द के नशे में चूर पाता हूँ,

कैसे करीब आऊँ मैं, जब ख़ुद को ही ख़ुद से दूर पाता हूँ।

By:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

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Saket Ranjan Shukla

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