सीख गया हूँ

सीख रहा हूँ और सीख गया भी हूँ कुछ

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 11 Jun, 2020 | 1 min read
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मुस्कुराते चेहरे के पीछे अश्क छुपाना सीख गया हूँ,

अपने जख़्मों को वक़्त के साथ भुलाना सीख गया हूँ,

सीख गया हूँ टुकड़ों में बिखर कर फिर जुड़ जाना भी,

हौसला हार कर भी अपने डर को डराना सीख गया हूँ,


मेरी ये अदाकारी भी, अब मेरे ही काम आने लगी है जैसे,

ये झूठी मुस्कुराहट भी, अब मेरा साथ निभाने लगी है जैसे,

ज़ख्मों से छलनी पैरों से भी काँटों को कुचलना चाहता हूँ मैं,

मेरी मुश्किलें भी, अब मेरे सफ़र में मेरा हाथ बंटाने लगी है जैसे,


अपने किरदार से नज़रें मिलाकर ख़ुद को आजमाना सीख गया हूँ मैं,

अब तो होश में ना रहकर भी बड़े बड़ों के होश उड़ाना सीख गया हूँ मैं।

By:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

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Saket Ranjan Shukla

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