लिखता हूँ

बहुत कुछ बाकी है लिखने को क्योंकि मैं वक़्त के हालात लिखता हू़ँ।

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 08 Jul, 2020 | 1 min read
#poetry Life #hindipoetry #my_pen_my_strength

ख़ुद से जुड़ी हर बात लिखता हू़ँ,

अपने दिल के जज्बात लिखता हू़ँ,

अच्छी यादें ज्यादा याद नहीं शायद,

इसीलिए बिगड़े हुए हालात लिखता हू़ँ,


लिख कर संभलता हूँ, सँभल कर लिखता हू़ँ,

वक़्त के साथ अल्फ़ाज़ बदल कर लिखता हू़ँ,

जान ना ले कोई राज मेरे, मुझे पढ़ते पढ़ते ही,

इसलिए अपने किरदार से बिछड़ कर लिखता हू़ँ,


मुश्किलें और सफ़र दोनों का फसाना लिखता हू़ँ,

अपनी और ज़िन्दगी के बीच का तराना लिखता हू़ँ,

वक़्त का सिखाया कोई सबक, भूल ना जाऊँ कभी,

इसलिए हर शाम अपना कोई अफसाना लिखता हू़ँ,


लिखता हू़ँ वो सब, जो किसी से भी कहना नहीं चाहता,

लिखता हू़ँ वो दर्द, जो दोबारा कभी सहना नहीं चाहता,

अपनी गलतियां याद आए या बात कोई चुभने लगे दिल में,

लिख लेता हू़ँ चुभन सारी, और ख़ामोश मैं रहना नहीं चाहता,


कभी लिखकर सोचता हू़ँ, कभी कभी सोचकर भी लिखता हू़ँ,

मुस्कुरा कर लिखता हू़ँ, अश्क अपने पोछ कर भी लिखता हू़ँ,

कभी दिल मेरा छुपाकर, बात कोई रख ले ना जेहन में बिठाकर,

इसलिए दिल की सुर्ख पड़ी दीवारों को खरोंच कर भी लिखता हू़ँ,


हर एक लफ्ज़ में अपनी उलझने और अपने सवालात लिखता हू़ँ,

जिनसे बिछड़े भी जमाना हुआ आज भी वो ख्यालात लिखता हू़ँ,

कई पन्ने लिख डाले ना जाने कितनी स्याही खरच डाली लिखकर,

बहुत कुछ बाकी है लिखने को क्योंकि मैं वक़्त के हालात लिखता हू़ँ।

By:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

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Saket Ranjan Shukla

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