मुझे मेरी ज़िन्दगी मेरे हिसाब से जीने दो,
अपने नुस्खे सारे अपने ही पास रखो तुम,
मेरे ज़ख्म हैं, मुझे मेरे सलीके से सीने दो,
दूर ही रहो, अपने काम से काम रखो तुम,
मेरे हर एक फैसले में दख़ल देना छोड़ दो,
मुझे ख़ुद को, अच्छे से सँभालना आता है,
हरेक कदम पर, यूँ आगाह करना छोड़ दो,
मुझे ख़ुद को, हर माहौल में ढालना आता है,
ये झुठी मदद अपनी, अपने ही पास रखो तुम,
क्या हूँ मैं, बस इतना सलीके से याद रखो तुम।
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