मुझे खुशहाल घर से मकान बनाया जा रहा है,
मेरे लिए रिश्तों को दाव पर लगाया जा रहा है,
जिनके बचपन को मैंने हँसते मुस्कुराते देखा है,
उन्हीं के ज़रिए, मेरे नींव को हिलाया जा रहा है,
लड़ना झगड़ना ठीक था, मगर बँटवारा तो ना करें,
खंडहर रह जाऊँगा मैं, मुझे यूँ बेसहारा तो ना करें,
मैंने बरसों तक सबको मौसमी तूफानों से बचाया है,
मेरे टुकड़े करके बाकी रिश्तों को किनारा तो ना करें,
अच्छा भला तो परिवार है ,क्यों इसे तोड़ना चाहते हो,
अपने कर्तव्यों से भी क्यों आज मुँह मोड़ना चाहते हो,
मैं नहीं देख पाऊँगा, यूँ ही बिखरते तुम्हारे परिवार को,
क्या बाकी रहा मुझमें, जो मुझे और निचोड़ना चाहते हो,
मेरे संघर्षों का क्यों इस तरह से मोल चुकाया जा रहा है,
क्यों मुझे खुशहाल घर से, एक मकान बनाया जा रहा है।
BY:— © Saket Ranjan Shukla
IG:— @my_pen_my_strength
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Accha he
Thank you very very much
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