मेरा सहारा

काश मुझे मेरा सहारा मिला होता

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 09 Sep, 2020 | 1 min read
#my_pen_my_strength

काश हैरान मेरे दिल को मेरा सहारा मिला होता,

मेरी अलबेली कश्ती को कोई किनारा मिला होता,


ज़िन्दगी ने कुछ इस तरह उलझाया है मेरी राहों को,

काश मुझ राह भटके नाविक को ध्रुवतारा मिला होता,


कितनी बाकी है मुझमें ज़िन्दगी, मालूम भी नहीं शायद,

ख्वाहिश थी सफ़र में, कभी तो मौसमे बहारा मिला होता,


परेशानियों का दौर ये कहीं से भी खत्म होता दिखता नहीं,

बिखरे हुए इस मंजर में, वक़्त का ही कोई इशारा मिला होता,


हर किसी से आस थी, हर किसी से बेतहाशा उम्मीद थी मुझे,

उजाला ना सही तो काश खो जाने को घुप अंधियारा मिला होता,


अजनबियों से ही वास्ता जुड़ा है, अनजाने से डगर पर चल पड़ा हूँ,

झूठा अपनापन जताने को सही, कोई हमसफ़र आवारा मिला होता,


अतीत को भुलाने की चाह में, हर लम्हे को याद करके बिलखता हूँ,

बार बार बिखरे बीते कल पर, दिल ना मुझे इतना नकारा मिला होता,


क्या कहूँ कैसे हमदर्द की तलाश में निकला था, इस मतलबी जमाने में,

ज़िन्दगी के बेईमान सफ़र में काश मुझे कोई मेरे जैसा बंजारा मिला होता,


शुरुआत ही शायद गलत हुई मेरी, गलत लोगों की सुन गलत हो चला मैं,

गलत सही का फ़र्क समझाने को, कोई जमाने से हारा, बेचारा मिला होता,


मेरे किस्से को, मेरे सफ़र को अगर मेरी मंज़िल का एक नजारा मिला होता,

फिर ख्वाहिशें सारी पूरी होती, काश मुझे वक़्त पर मेरा सहारा मिला होता।

BY:— ©saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

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Saket Ranjan Shukla

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