मुस्कान का नक़ाब

मुस्कान का नक़ाब पहनता अब “साकेत"

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 10 Jul, 2021 | 1 min read
#my_pen_my_strength

सबकी राहें होती हैं, मैं राहों का हो लिया करता हूँ,

मंज़िल से नज़रें चुराके सफ़र में खो लिया करता हूँ,


है आवारगी फ़ितरत मेरी, बंजारों सा भटकता हूँ मैं,

सपने न भी आएँ, सुकून के लिए सो लिया करता हूँ,


जब जब भी बेमज़ा होने लगती है ज़िंदगी खुशियों से,

आँख मूँदके अनचाहे काँटे, राहों में बो लिया करता हूँ,


जब भी तकलीफ़ बताने का दिल करे और अक़्ल न माने,

मेरे जज्बातों को मैं चंद अल्फ़ाजों में पिरो लिया करता हूँ,


सारा दिन चेहरे पर मुस्कान का नक़ाब पहनता है “साकेत",

रात में जब सब सो जातें हैं, मैं छुप छुपाके रो लिया करता हूँ।


BY:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

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