फ़िर न करेंगे गलती मोहब्बत की

फ़िर न करेंगे गलती मोहब्बत की

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 22 Jul, 2022 | 1 min read

जो ख़ुद न सँभला हो, काबू में बयार क्या करेगा,

ठोकरों से हो जो बना, ख़ुद को तैयार क्या करेगा,


बे-इंतिहा लूटा है उसे उसकी ही पहली मोहब्ब्त ने,

आशिक़ी में हारा शख़्स कुछ इख़्तियार क्या करेगा,


भूल गया है वो तब से ही जीना ख़ुद के लिए शायद,

चाहतें गंवाई उस दफ़ा, हासिल इस बार क्या करेगा,


भरोसा अपनी पसंद और चाहतों पर भी अब है नहीं,

ख़ुद को खोते-खोते, मंज़िलों पर ऐतबार क्या करेगा,


दोबारा मोहब्ब्त, बेवज़ह न सिखाए कोई “साकेत" को,

जो ख़ुद से ही न करे, वो किसी और से प्यार क्या करेगा।


BY:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength


कुछ कठिन शब्दार्थ??

बयार= हवा का झोंका (Wind)

बे-इंतिहा = अपार, असीम (Limitless)

इख़्तियार= वश, नियंत्रण (Control)

ऐतबार= भरोसा, विश्वास (Trust)


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