दस्तूर ज़माने का

ये दुनिया ऐसी ही है...अच्छा होगा कि इसके ढंग में ढलना सिख जाएं

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 18 Apr, 2021 | 1 min read
#my_pen_my_strength

कुरेदो ज़ख्म कोई और दर्द सुनाओ तो सही,

हम समझें न समझें, तुम समझाओ तो सही,


क्या ही बचा है तुममें, जो तुम्हारा साथ दें हम,

मदद करें न करें, तुम आवाज़ लगाओ तो सही,


तरस नहीं, अब तो मज़ा है आता तुम्हें सुनकर,

दिल चाहे न चाहे, तुम महफ़िल जमाओ तो सही,


हम हँसेंगे तुम पर, ताने कसेंगे, मजाक भी बनाएँगे,

हम राह सुझाएँ न सुझाएँ, तुम सर झुकाओ तो सही,


है यही दस्तूर ज़माने का “साकेत" लोग ऐसे ही होते हैं,

तुम सह पाओ कि न पाओ, सलीके से मुस्कुराओ तो सही।

BY:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

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Saket Ranjan Shukla

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