ज़ाम- ए-ज़िन्दगी

ज़ाम- ए-ज़िन्दगी

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 10 Jan, 2021 | 1 min read
#my_pen_my_strength

मुश्किलें बढ़ी हैं, अब मजा आएगा सफ़र में,

जी उठा मैं फंसकर फिर मुसीबतों के भंवर में,


अब चुनौतियाँ बढ़ेंगी और मुझसे सामना करेंगी,

बिना इनके, बचा ही क्या था सुनसान से डगर में,


अंधियारा, अपनी कायनात से फिर मुझे डराएगा,

मैं नई इक रौशनी तलाशूँगा आने वाले हर सहर में,


मुसीबतों का समंदर ये, मुझे डुबो देना ज़रूर चाहेगा,

मैं फ़िर भी ख़ुद को ढूढूँगा, बलखाती हुई हर लहर में,


कहते हैं लोग कि कड़वी है “साकेत" ये ज़ाम-ए-ज़िन्दगी,

मैंने जुबान ही मीठी कर रखी है, पीकर चाय बीते हर पहर में।


BY:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

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Saket Ranjan Shukla

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