एकतरफा रस्ता मंज़िल का

एकतरफा रस्ता मंज़िल का

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 28 May, 2021 | 1 min read
#my_pen_my_strength

हाँ गलतियाँ हुई मुझसे मगर पछता कौन रहा है,

गलत फैसलों के परिणाम से, घबरा कौन रहा है,


जिद्दी था, काँटो से भी यारी निभाने पर तुला था,

ज़रा से तो ज़ख्म हैं, इनपर आँसू बहा कौन रहा है,


नादानी में भी जवाब नहीं मेरा, सबको अपना माना,

समझ ही न पाया कि मुझे राह से भटका कौन रहा है,


ख़्वाब कई हैं और ये वक़्त कहाँ किसी के लिए रुका है,

इसीलिए अब सोचने-विचारने में, वक़्त गँवा कौन रहा है,


माना कि एकतरफा रस्ता है “साकेत" मंज़िल को पाने का,

और वैसे भी वापस लौटकर आने के लिए जा कौन रहा है।

By:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

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