घायल है स्वाभिमान

घायल है स्वाभिमान

Originally published in hi
Reactions 0
407
Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 06 Aug, 2021 | 1 min read
#poetry #my_pen_my_strength

मुझ बेक़सूर का हुआ सरेआम अपमान, क्या करूँ,

छिन गया सालों में कमाया हुआ सम्मान, क्या करूँ,


यूँ भी मेरी ये ज़िन्दगी मुफ़लिसी में ही गुज़र रही थी,

था एकमात्र सहारा, छिना वो आत्मसम्मान, क्या करूँ,


कई लोगों की लगी थी भीड़, जैसे लगा हो कोई मेला,

मददगार हुआ न उतनों में से एक भी इंसान, क्या करूँ,


क़ानून को बना हथियार, क़ानून ही तोड़ा गया उस रोज़,

फ़र्जी ये न्याय व्यवस्था, झुठी है इसकी ये शान, क्या करूँ,


ज़ार-ज़ार होके बिखरा वज़ूद मेरा, मेरे ही आँखों के सामने,

तन के चोट तो भर जाएँगे, घायल है स्वाभिमान, क्या करूँ?


BY:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

0 likes

Published By

Saket Ranjan Shukla

saketranjanshukla

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.