साल नया, सोच नई, तरक्की की नई कहानी लिखते हैं,
बीता सो बीता, अब नई लहरों की नई रवानी लिखते हैं,
लिखते हैं ख्वाहिशें अपनी, अपनी नई पहचान लिखते हैं,
माली बन ज़िन्दगी का, हिस्से में अपने गुलिस्तान लिखते हैं,
ज़ख़्म और दर्द सारे कोरे पन्नों पर लिखकर भूल जाते हैं चलो,
नए किरदार चुनते हैं अपने लिए, नए नए उसूल बनाते हैं चलो,
बढ़ते जाना है, रुकना नहीं है हारकर, वादा ख़ुद से करते हैं चलो,
सबकी सुनकर, सोच समझकर, ये दिल जो कहे वैसा करते हैं चलो,
बीते साल के लिए भी थोड़ा प्यार और थोड़ी बहुत बगावत लिखते हैं,
चलो इस नए साल के हिस्से में, नए तरीके से नया स्वागत लिखते हैं।
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