क्यों ऐसा हूँ मैं

क्यों ऐसा बेचारा हूँ मैं

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 02 Jul, 2021 | 1 min read
#my_pen_my_strength

जलती मशाल का बुझता हुआ अंगारा हूँ,

रौशन आसमान का टूटता हुआ सितारा हूँ,

ख़ुद के समझ से बाहर हूँ मैं ऐसे हालातों में,

सरल सी लहरों का भटकता हुआ किनारा हूँ,


हर कुछ है हासिल मुझे मगर कुछ पास नहीं है,

हौसला है मुझमें मगर कुछ पाने की आस नहीं है,

हूँ नाउम्मीद अपने जीने के इस अंदाज़ से शायद,

दरिया क़रीब है मेरे मगर ज़रा सी भी प्यास नहीं है,


मंज़िल है क़रीब मगर नियत से लुटता हुआ आवारा हूँ,

शायद इसीलिए रौशन मशाल का बुझता हुआ अंगारा हूँ।


BY:— © Saket Ranjan Shukla

IG— @my_pen_my_strength

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Saket Ranjan Shukla

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