ख़ुद को खोया है मैंने

ख़ुद को खोया है मैंने तुम्हें खोकर

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 26 Jun, 2021 | 1 min read
#my_pen_my_strength

क्या कहूँ बिना अश्क़ के ये दिल कितना रोया है,

बेचैनीयों के मारे, कितनी ही रातों से नहीं सोया है,


है कसूर मेरा ही, जो हैसियत भूल, इश्क़ कर बैठा,

ये काँटा बबूल का, मैंने ख़ुद ही तो राहों में बोया है,


दरिया सूख गया है इन आँखों का, इन्हीं चंद दिनों में,

इन अश्कों ने हर रात मेरे तकिए को इस कदर धोया है,


ख़ामोश था क्योंकि साँसे भी कराह के साथ निकलती थीं,

यूँ ही तो नहीं मैंने अपने ज़ख्मों को भी लफ़्ज़ों में पिरोया है,


कैसे कह दे “साकेत" कि सब कुछ ठीक है अब ज़िन्दगी में,

मालूम है जब मुझे कि तुम्हें खोकर मैंने ख़ुद को भी खोया है।


BY:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

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Saket Ranjan Shukla

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Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Kumar Sandeep · 2 years ago last edited 2 years ago

    क्या कहने

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