मैं ऐसा कल न था

मैं या कल न था जो आज़ हूँ

Originally published in hi
Reactions 2
300
Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 07 Jun, 2021 | 1 min read
#my_pen_my_strength

मुस्करा तो रहा हूँ मगर अंदर से बर्बाद हूँ मैं,

चीखती है ख़ामोशी, दबी हुई सी आवाज़ हूँ मैं,


मैं अनजान रहता हूँ अपने भी इरादों से शायद,

जैसे ख़ुद के लिए भी मैं अब तक इक राज़ हूँ मैं,


गुनगुनाती है ये हवाएं मेरे नाम को सिसकते हुए,

शक़ है ख़ुदपर कि बिखरा हुआ सा कोई साज हूँ,


हाल जब पूछती है ये ज़िन्दगी मुझपर हंसते हुए,

ख़ुद से नज़रें चुराके कहता हूँ कि हाँ, आबाद हूँ मैं,


कहते हैं लोग कि कितना बदल गए हो तुम “साकेत",

मैं ख़ुद भी तो समझता हूँ, कल ये न था जो आज हूँ मैं।


By :— © Saket Ranjan Shukla

IG :— @my_pen_my_strength

2 likes

Published By

Saket Ranjan Shukla

saketranjanshukla

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.