मज़ाक है क्या

मज़ाक है क्या हर घड़ी लिखने की कोशिश करना फ़िर नाकामयाब हो जाना और फ़िर से कोशिश करना

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 30 Dec, 2020 | 1 min read
#my_pen_my_strength

ज़िन्दगी जीना और मुस्कुराना, मज़ाक है क्या,

दर्द को लिखना और गुनगुनाना, मज़ाक है क्या,


पथरीले रास्ते और काँटों भरा पूरा सफ़र है मेरा,

यूँ लड़खड़ाना और सँभल जाना, मज़ाक है क्या,


वक़्त बदलते बदलते सारे किरदार बदल देता है,

ऐसे में बदलना और निखर पाना, मज़ाक है क्या,


जख्मों ने भी अकेला छोड़ा नहीं है मुझे अबतक,

यूँ घायल होना और चलते जाना, मज़ाक है क्या,


मज़ाक तुम्हारे, तुम्हें मज़ाक में लेने लगे हैं “साकेत",

अब मज़ाक बनना और बनते ही जाना, मज़ाक है क्या?


BY:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

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Saket Ranjan Shukla

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