खुशियों का संसार, बचपन

खुशियों का संसार, बचपन

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 27 Nov, 2021 | 1 min read

खिलौने छूटे और लाड़ दुलार छूट गया,

समझ आई तो नि:स्वार्थ प्यार छूट गया,

छूट गई है जो अंगुली हाथों से पापा की,

आगे मैं बढ़ा, पीछे मेरा संसार छूट गया,


माँ की लोड़ियाँ, दादी की कहानियाँ छूटीं,

दादाजी की पुचकार, मेरी नादानियाँ छूटीं,

ननिहाल में बचपना छूटा, छूटा मुझसे मैं भी,

झूले, खेल, तमाशे, खुशियों की रवानियाँ छूटीं,


हिस्से जिम्मेदारियाँ आईं मगर आधार छूट गया,

बचपन छूटा दिल से, जैसे सारा संसार छूट गया।


BY:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

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Saket Ranjan Shukla

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