कह देना मुझसे

तलाश भी क्यों करें ख़ुद की, जब गुमशुदाओं में शामिल हो गए हैं हम।

Originally published in hi
Reactions 1
404
Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 08 Jul, 2020 | 1 min read
#poetry Life #hindipoetry #my_pen_my_strength

कह देना मुझसे, जो खुद को ढूंढने आएँ कभी,

कि अब गुमशुदा अंधेरों में, शामिल हो गए हैं हम,

खुद को आजमाने की जो ख्वाहिश जताएँ कभी,

बता देना कि, बिल्कुल ही नाकाबिल हो गए हैं हम,


बेफिक्री से खुलकर जीने की चाह अब नहीं रही बाकी,

ख़ुद में ही सिमटकर, अब यूँ ही जीने की बात करते हैं,

मुश्किलों से हारे भी ऐसे कि कोई राह ही नहीं रही बाकी,

अल्फाजों के सहारे ही, अब जाहिर अपने जज़्बात करते हैं,


महफिलों में रहे ज़रा अधूरे से, मगर तन्हाइयों में क़ामिल हो गए हैं हम,

तलाश भी क्यों करें ख़ुद की, जब गुमशुदाओं में शामिल हो गए हैं हम।

By:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

1 likes

Published By

Saket Ranjan Shukla

saketranjanshukla

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.