लूटा हुआ आसमान

आखि़र क्यों लुटा है ये आसमान, क्यों खिसक गई है पैरों तले जमीं।

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 02 Jun, 2020 | 1 min read
Life

लुट गया मेरा आसमान, खिसक गई है पैरों तले जमीं,

अब ना कोई मंज़र है खूबसूरत, ना ही महफिलें हैं हसीं,

वक़्त के पहियों तले कुछ यूँ रौंदें गए है सुहाने ख्वाब मेरे,

कि ना मेरे अश्क साथ दे रहे हैं, ना ही लफ्ज़ हैं साथ मेरे,


हौसलें हैं हाथ थामे मेरा मगर मैं ही क्यों बिखरा जा रहा हूँ,

मुश्किलों से लड़ूँ कैसे, जब खुद से भी आज यूँ घबरा रहा हूँ,

जंग की शुरुआत है और थकान ने अभी ही तोड़ दिया है मुझे,

खफा भी नहीं हूँ सफर से जिसने यूँ ही तन्हा छोड़ दिया है मुझे,


वक़्त की है कारस्तानी सारी या मेरी कोशिशों में ही रही है कमी,

आखि़र क्यों लुटा है ये आसमान, क्यों खिसक गई है पैरों तले जमीं।

BY:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

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Saket Ranjan Shukla

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