ज़िन्दगी

ज़िन्दगी आजमाती बहुत है हमें

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 01 Jun, 2020 | 1 min read

मुझे कुछ मुश्किलें दिखा कर डराना चाहते हो,

जिस राह पर चल पड़ा हूँ, उससे हटाना चाहते हो,

कैसे मुझे रोक पाओगे, अब भी सोच में पड़े हो तुम,

हौसला तोड़कर मेरा, मुझे ही आजमाना चाहते हो तुम,


मेरी उम्मीदों को नाउम्मीद करने की कोशिश करोगे तुम,

मुझे हरेक मोड़ पर उलझनों में, उलझाने में भी लगे रहोगे तुम,

अब तक मेरे हौसले से तुम भी तो वाकिफ हो गए हो शायद,

फिर भी मुझे मेरे ही किरदार से भटकाने की गलती करोगे तुम,


क्यों मुझे मेरी जीत के बाद भी नाकामयाब ठहराना चाहते हो तुम,

ऐ ज़िन्दगी! क्यों मुझे हर कदम पर बेवजह आजमाना चाहते हो तुम।

By:—© Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

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Saket Ranjan Shukla

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